भाद्र ३१ गते २०७६
मुक्तक
नवराज रेग्मी’चिन्तन’
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कवाडी-कवाडी भनी,पैसाे लगे दक्षिण तिरै
पशुपतिमा जाेगी बनी,पैसाे लगे दक्षिण तिरै।
अाफ्नै देशमा श्रम गर्न,लाज मान्छाैं हामी
टन्नै कमाय बने धनी,पैसाे लगे दक्षिण तिरै।।
नवराज रेग्मी’चिन्तन’
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कवाडी-कवाडी भनी,पैसाे लगे दक्षिण तिरै
पशुपतिमा जाेगी बनी,पैसाे लगे दक्षिण तिरै।
अाफ्नै देशमा श्रम गर्न,लाज मान्छाैं हामी
टन्नै कमाय बने धनी,पैसाे लगे दक्षिण तिरै।।